केजरीवाल का पलटवार: Excise Scam में कोर्ट के फैसले के खिलाफ HC में दायर की याचिका

नई दिल्ली | 8 जुलाई 2025: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद अब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
यह कदम अब साफ संकेत देता है कि AAP सुप्रीमो कानूनी मोर्चे पर पलटवार की रणनीति अपना चुके हैं और अब वे अपने खिलाफ चल रहे एक्साइज पॉलिसी घोटाले (Excise Scam) में न्यायिक राहत की लड़ाई को और तेज़ करेंगे।


निचली अदालत का आदेश क्या था?

2 जुलाई 2025 को दिल्ली की निचली अदालत ने केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि:

  • केजरीवाल इस केस में “प्रथम दृष्टया एक सक्रिय भूमिका” में नजर आते हैं।
  • सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका नकारा नहीं जा सकती।
  • वह एक “मुख्य सार्वजनिक पद” पर हैं, इसलिए उनका प्रभाव जांच को नुकसान पहुंचा सकता है।

हाईकोर्ट में क्या कहा गया?

केजरीवाल की तरफ से दाखिल याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया है कि:

  • निचली अदालत ने तथ्यों की गलत व्याख्या की है।
  • अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए तथ्यों में कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
  • आरोपी (CM केजरीवाल) ने जांच में पूरा सहयोग दिया है और वह भगोड़ा नहीं है।
  • राजनीतिक साजिश के तहत फँसाया गया है, ताकि आम आदमी पार्टी को कमजोर किया जा सके।

AAP की प्रतिक्रिया

AAP नेताओं ने इसे पूरी तरह से एक “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है।
आप प्रवक्ता संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा:

“यह सरकार की चाल है। प्रधानमंत्री मोदी और BJP अब चुनाव जीतने के लिए विपक्ष के नेताओं को जेल में डालने की रणनीति पर चल रही है।”

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पहले से ही इसी मामले में जेल में हैं और अब मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी ने AAP को चुनाव से पहले भारी दबाव में डाल दिया है।


ED का पक्ष

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत में कहा था कि:

  • दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 एक प्री-प्लांड स्कीम थी
  • इससे शराब विक्रेताओं और कंपनियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया
  • इसके बदले में आम आदमी पार्टी को “राजनीतिक फंडिंग” मिली
  • नीति बनाने की प्रक्रिया में अरविंद केजरीवाल की सीधी भूमिका रही

ED का कहना है कि इस घोटाले में 600 करोड़ रुपये तक का घोटाला हुआ है, जिसमें बड़ी कंपनियों और दक्षिण भारत की शराब लॉबी भी शामिल है।


क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?

कानून जानकारों का मानना है कि:

  • हाईकोर्ट इस याचिका को तात्कालिक राहत (Interim Relief) के तौर पर देख सकता है
  • यदि कोर्ट को लगे कि निचली अदालत का फैसला कमजोर आधार पर है, तो केजरीवाल को सशर्त ज़मानत मिल सकती है
  • परन्तु, यदि ED के सबूत और गवाह मजबूत साबित होते हैं, तो हाईकोर्ट राहत देने से मना भी कर सकता है

राजनीतिक असर

इस केस का असर केवल कोर्टरूम तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर:

  • AAP की चुनावी रणनीति
  • केजरीवाल की राजनीतिक छवि
  • और विपक्ष की मोदी सरकार पर हमले की धार पर भी पड़ेगा।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केजरीवाल जेल से बाहर आकर अपनी “इनोसेंस नैरेटिव” को मजबूती दे पाएंगे, या BJP इसे “भ्रष्टाचार पर वार” के तौर पर भुना पाएगी।


अगली सुनवाई कब?

हाईकोर्ट में याचिका पर 10 जुलाई 2025 को सुनवाई हो सकती है।
इस दिन यह तय होगा कि केजरीवाल को जमानत मिलेगी या नहीं, और क्या उन्हें आगामी दिनों में चुनावी तैयारियों में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।


निष्कर्ष

अरविंद केजरीवाल की HC में याचिका एक बड़ा पलटवार है – जो न सिर्फ कानून के दायरे में है, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि हाईकोर्ट किस पक्ष में खड़ा होता है – जांच एजेंसी या देश के एक मुख्यमंत्री के।


आपकी राय में केजरीवाल को जमानत मिलनी चाहिए या नहीं? क्या यह राजनीतिक साज़िश है या सच्चा घोटाला? अपनी राय नीचे ज़रूर लिखें।


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