बिहार में वोट की चोरी का बड़ा खुलासा – लोकतंत्र को लगा करारा झटका!”

पटना, 8 जुलाई 2025:
बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय निकाय और उपचुनावों के बाद “वोट की चोरी” को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है।
विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ गठबंधन पर फर्जी वोटिंग, बूथ कैप्चरिंग और वोटर लिस्ट में हेराफेरी के गंभीर आरोप लगाए हैं।

अब सवाल उठ रहा है – क्या बिहार में सच में जनमत की चोरी हुई है? क्या लोकतंत्र को एक बार फिर ठगा गया है?


आरोप क्या हैं?

राजद (RJD), कांग्रेस और वामदलों ने मिलकर आरोप लगाया है कि:

  • हजारों फर्जी वोट डाले गए
  • कई जगहों पर बूथों पर कब्जा कर मतदान अधिकारियों को डराया गया
  • असली वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले
  • ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ की आशंका जताई गई

राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:

“बिहार में लोकतंत्र का मज़ाक बनाया गया है। जब जनता वोट डालने गई तो पता चला कि उनका वोट पहले ही डाला जा चुका है!”


किन जिलों में विवाद?

ज्यादातर विवाद मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, और भागलपुर जिलों से सामने आए हैं।
कुछ पोलिंग बूथों पर तो CCTV फुटेज में संदिग्ध गतिविधियां देखी गई हैं, जिसमें कई लोग लगातार कई बार वोट डालते नज़र आए।


चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

बिहार राज्य चुनाव आयोग ने शुरुआती जांच के बाद कहा है कि:

  • कुछ बूथों पर अनियमितताएं पाई गई हैं
  • जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है
  • दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी

हालांकि, आयोग ने अभी तक किसी भी चुनाव को रद्द करने की घोषणा नहीं की है।


क्या है वोटर लिस्ट की भूमिका?

जानकारों के मुताबिक, फर्जी वोटिंग का सबसे बड़ा जरिया वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है।
कई जिलों में एक ही व्यक्ति के नाम तीन-तीन बार अलग-अलग बूथों पर दर्ज थे।
वहीं कई असली वोटरों को वोट देने से रोक दिया गया, क्योंकि लिस्ट में उनका नाम नहीं था।


क्या EVM भी शक के घेरे में?

कुछ राजनीतिक दलों ने EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए हैं।
हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि:

“EVM पूरी तरह से सुरक्षित हैं, और उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है।”

इसके बावजूद, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और गुप्त ऑडियो क्लिप ने आम जनता के बीच संदेह को और गहरा कर दिया है।


सोशल मीडिया पर बढ़ती नाराजगी

#VoteChoriBihar“, “#FakeDemocracy“, और “#JusticeForVoters” जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि यदि उनका वोट सुरक्षित नहीं है, तो लोकतंत्र केवल एक दिखावा है।


विपक्ष की मांग

विपक्षी दलों ने मिलकर तीन बड़ी मांगें रखी हैं:

  1. चुनाव परिणामों की स्वतंत्र न्यायिक जांच हो
  2. फर्जी वोटिंग में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई हो
  3. नई वोटर लिस्ट का पुनः सत्यापन कराया जाए

तेजस्वी यादव ने कहा:

“अगर जनता का वोट सुरक्षित नहीं, तो चुनाव सिर्फ सत्ता का खेल बन जाएगा।”


निष्कर्ष

बिहार में वोट की चोरी के आरोप लोकतंत्र की बुनियादी साख पर चोट हैं।
अगर इन आरोपों में सच्चाई है, तो यह सिर्फ एक राज्य का मामला नहीं बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है।

जनता की उम्मीद और विश्वास को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और सुरक्षित हो।
अब देखना यह होगा कि क्या सरकार और चुनाव आयोग इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाते हैं या सिर्फ बयानबाज़ी होती रहेगी


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