
मुंबई | 8 जुलाई 2025: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे द्वारा घोषित मराठी अधिकार आंदोलन से पहले ही राजनीतिक पारा चढ़ चुका है। मुंबई और ठाणे समेत कई जिलों में MNS के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को प्रीवेंटीव डिटेंशन में ले लिया गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा —
“ये लोग जानबूझकर टकराव का रास्ता चुन रहे हैं, ताकि राजनीति चमकाई जा सके।”
आंदोलन की पृष्ठभूमि
राज ठाकरे ने हाल ही में घोषणा की थी कि 8 जुलाई से महाराष्ट्र भर में “मराठी मानुस के हक” के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।
मांगें हैं:
- राज्य में मराठी भाषा को हर क्षेत्र में अनिवार्य किया जाए
- नौकरियों में स्थानीय मराठियों को प्राथमिकता मिले
- राज्य सरकार के सभी दफ्तरों में मराठी signage अनिवार्य हो
- गैर-मराठी बैनरों और विज्ञापनों पर पाबंदी
नेताओं की गिरफ्तारी और पुलिस की तैयारी
मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक जैसे इलाकों में MNS के जिला प्रमुखों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को सुबह 6 बजे के आसपास उनके घरों से हिरासत में ले लिया गया।
पुलिस ने इस कदम को “शांति बनाए रखने के लिए एहतियात” बताया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक:
- MNS की योजना बिना अनुमति के रेल रोको और चक्का जाम आंदोलन करने की थी
- सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और वीडियो डाले जा रहे थे
- भीड़ को रोकने के लिए 144 धारा लागू की गई है कई जिलों में
देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान
उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने साफ शब्दों में कहा:
“सरकार किसी के मराठी प्रेम से इंकार नहीं करती, लेकिन कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं होगा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज ठाकरे की पार्टी आने वाले BMC चुनाव को ध्यान में रखकर जानबूझकर ऐसा कर रही है।
राज ठाकरे की प्रतिक्रिया
हालांकि खुद राज ठाकरे ने अभी तक कोई औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है, लेकिन MNS के ट्विटर हैंडल से जारी बयान में कहा गया:
“मराठी स्वाभिमान की लड़ाई को दबाया नहीं जा सकता। सरकार डर के मारे गिरफ्तारियाँ करवा रही है।”
सोशल मीडिया पर ट्रेंड
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हैशटैग #मराठीअधिकारआंदोलन और #MNSWithRaj ट्रेंड कर रहे हैं।
लोगों की राय इस मामले में बंटी हुई है – कुछ लोग इसे मराठी अस्मिता की लड़ाई मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक स्टंट।
निष्कर्ष
मराठी आंदोलन की आड़ में महाराष्ट्र में सियासी घमासान शुरू हो चुका है। एक तरफ सरकार क़ानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ MNS और राज ठाकरे समर्थक जनता के हक की लड़ाई का दावा कर रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह आंदोलन वास्तव में मराठी जनभावना का प्रतिनिधित्व करता है, या यह सिर्फ चुनाव से पहले राजनीतिक चाल है।